पुपुणे: शहर की हवा में अभी से गणेशोत्सव की उमंग और ढोल-ताशों की गूंज महसूस होने लगी है। लेकिन इस उत्साह पर पिछले कुछ समय से ध्वनि प्रदूषण पर अदालत के कड़े नियमों का एक साया मंडरा रहा था, जो देर रात तक चलने वाले कार्यक्रमों पर ब्रेक लगा देता था। अब, गणेश मंडलों और लाखों भक्तों की इसी चिंता को दूर करने के लिए खुद राज्य सरकार ने कमर कस ली है।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने आज एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि सरकार गणेशोत्सव के दौरान लाउडस्पीकर के उपयोग की समय सीमा में ढील देने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएगी। यह एक ऐसा कदम है जिससे पुणे और पूरे महाराष्ट्र के गणेश मंडलों ने राहत की सांस ली है।
यह सिर्फ शोर नहीं, यह लोकमान्य की विरासत है
अजित पवार ने साफ किया कि यह मामला सिर्फ लाउडस्पीकर बजाने की अनुमति का नहीं, बल्कि लोकमान्य तिलक द्वारा शुरू की गई एक महान परंपरा को उसके मूल स्वरूप में जीवित रखने का है। उन्होंने जोर देकर कहा, “गणेशोत्सव सिर्फ एक त्योहार नहीं, यह हमारी संस्कृति और एकता का प्रतीक है, जो आज 200 से ज्यादा देशों में मनाया जाता है।”
उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि गणेश मंडल केवल 10 दिन का उत्सव नहीं मनाते, बल्कि ये साल के 365 दिन सामाजिक सेवा के ‘पावरहाउस’ बने रहते हैं। इन मंडलों के सामाजिक कार्यों को देखते हुए, उन्हें त्योहार के दौरान अपनी परंपराओं को पूरी भव्यता से मनाने का अवसर मिलना ही चाहिए।
‘राज्य पर्व’ का दर्जा और भक्तों के लिए मेट्रो की सौगात
इस मौके पर चिंचवड़ के विधायक हेमंत रासने ने गणेशोत्सव को “राज्य पर्व” घोषित करने की एक महत्वपूर्ण मांग उठाई, जिसका मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों ने समर्थन किया। इस दर्जे से त्योहार को न केवल सांस्कृतिक रूप से और बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इसके आयोजन को भी सरकारी स्तर पर सहयोग मिलेगा।
वहीं, भक्तों की सुविधा को लेकर अजित पवार ने एक और बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि गणेशोत्सव के दौरान लाखों श्रद्धालुओं की आवाजाही को देखते हुए पुणे मेट्रो को देर रात तक चलाने के निर्देश दिए जाएंगे। उन्होंने कहा, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि दर्शन और विसर्जन के लिए आने वाले किसी भी भक्त को घर लौटने में कोई परेशानी न हो।” इसके लिए PMRDA और MSRDC मिलकर काम करेंगे।
अब निगाहें अदालत पर
सरकार के इस कदम ने गणेशोत्सव के आयोजन को लेकर एक नई ऊर्जा भर दी है। जहाँ एक तरफ विकास कार्यों (रिंग रोड, मेट्रो) से पुणे की तस्वीर बदलने की तैयारी है, वहीं दूसरी तरफ सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का यह प्रयास भी सराहनीय है। अब सबकी निगाहें अदालत पर टिकी हैं कि क्या इस साल गणेशोत्सव का उल्लास देर रात तक गूंजेगा।
Source: loksatta.com