एसटी महामंडल को बड़ी राहत, ईंधन छूट से बचेंगे ₹12 करोड़

पुणे: लंबे समय से आर्थिक तंगी की मार झेल रहे महाराष्ट्र राज्य मार्ग परिवहन महामंडल (MSRTC) के लिए एक राहत की बड़ी खबर आई है। यह खबर उन लाखों यात्रियों के लिए भी सुकून देने वाली है, जिनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी ‘लालपरी’ से जुड़ी है। परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक के एक अहम और रणनीतिक कदम के बाद, सरकारी तेल कंपनियों ने एसटी को दिए जाने वाले डीज़ल पर छूट बढ़ा दी है, जिससे महामंडल की तिजोरी में सालाना करीब 12 करोड़ रुपये की बचत होगी।

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आखिर कैसे मुमकिन हुआ यह? समझिए पर्दे के पीछे की कहानी

सूत्रों के अनुसार, यह फैसला आसानी से नहीं हुआ है। एसटी महामंडल पिछले 70 वर्षों से इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम का एक बड़ा और वफादार ग्राहक रहा है, जो रोज़ाना लगभग 10.77 लाख लीटर डीज़ल खरीदता है। इसके बावजूद, कई सालों से छूट की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी।

मामले की गंभीरता को समझते हुए, परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने खुद कमान संभाली। उन्होंने तेल कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठकों के कई दौर किए। उन्होंने सिर्फ बातचीत ही नहीं की, बल्कि निजी आपूर्तिकर्ताओं से संपर्क साधकर और खुली निविदा का रास्ता अपनाकर एक तरह का दबाव भी बनाया। इसी रणनीतिक मोलभाव का नतीजा है कि कंपनियां प्रति लीटर 30 पैसे की अतिरिक्त छूट देने पर राजी हो गईं।

आंकड़ों की ज़ुबानी: बचत का पूरा गणित

  • प्रतिदिन की बचत: लगभग 3.23 लाख रुपये
  • वार्षिक बचत: लगभग 11.80 करोड़ रुपये (करीब 12 करोड़)
  • लागू होने की तारीख: 1 अगस्त से

यह बचत एसटी के उस विशाल खर्च के मुकाबले भले ही छोटी लगे, लेकिन जैसा कि मंत्री सरनाईक ने कहा, “एसटी की नाजुक वित्तीय हालत में एक-एक रुपये की बचत मायने रखती है।”

आम यात्री के लिए इसके क्या मायने हैं?

अब सवाल यह उठता है कि इस 12 करोड़ की बचत का पुणे और महाराष्ट्र के आम यात्रियों पर क्या असर होगा? यह बचत सिर्फ़ आंकड़ों का खेल नहीं है। इसका सीधा असर आपकी और हमारी यात्रा पर पड़ सकता है।

  1. बेहतर बसें, सुरक्षित सफ़र: इस बचाए गए पैसे का इस्तेमाल बसों के रखरखाव और मरम्मत के लिए किया जा सकता है। इसका मतलब है कि सड़कों पर दौड़ती बसों की हालत सुधरेगी और सफ़र पहले से ज़्यादा सुरक्षित हो सकता है।
  2. आर्थिक बोझ कम: यह बचत महामंडल के विशाल वित्तीय घाटे को कम करने में एक छोटी सी ही सही, पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
  3. सेवाओं में सुधार की उम्मीद: जब निगम पर आर्थिक दबाव कम होता है, तो वह यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।

संक्षेप में, यह फैसला एसटी महामंडल के लिए एक “संजीवनी” की तरह है, जो उसे अपनी वित्तीय स्थिति को पटरी पर लाने के लिए थोड़ी और मोहलत देगा। यह दिखाता है कि सिर्फ टिकट के दाम बढ़ाने के बजाय, खर्चों में कटौती और सही मोलभाव करके भी संस्था को मजबूत किया जा सकता है।

Author

  • Ritesh Gaikwad

    मैं पुणेन्यूजहब का एक सजग लेखक हूँ। मैं अपनी रिपोर्टिंग के माध्यम से पुणे न्यूज़ की जमीनी हकीकत को उजागर करता हूँ, विशेष रूप से स्थानीय प्रशासन और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए।"

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