पुणे: रक्षाबंधन 2025 की आहट अब सिर्फ कैलेंडर की तारीखों में नहीं, बल्कि शहर की फिज़ा और धड़कन में भी महसूस होने लगी है। लक्ष्मी रोड की तंग गलियों से लेकर कैंप के आधुनिक स्टोर्स तक, दुकानों के बाहर सजी रंग-बिरंगी, चमकीली और कलात्मक राखियों की लड़ियाँ हवा में ऐसे झूल रही हैं, मानो वे उस हर बहन के मन की अनकही भावनाओं को ज़ुबान दे रही हों, जो अपने भाई की कलाई के लिए सबसे खूबसूरत धागा चुन रही है।
यह उस त्योहार की भूमिका है, जो सिर्फ एक रेशम के धागे का नहीं, बल्कि भाई-बहन के बीच के सबसे पवित्र रिश्ते—विश्वास, निस्वार्थ प्रेम और एक-दूसरे की रक्षा के अटूट वचन का जीवंत उत्सव है।
हर साल इस त्योहार के साथ एक चिंता भी जुड़ी होती है – भद्रा का साया। बहनों के मन में यह सवाल हमेशा रहता है कि राखी बांधने का शुभ मुहूर्त कब है? कहीं भद्रा काल में तो राखी नहीं बंध जाएगी? लेकिन इस वर्ष, 2025 में, ग्रहों और नक्षत्रों का एक ऐसा अद्भुत संयोग बन रहा है, जो लगभग चार वर्षों के लंबे इंतजार के बाद आया है। इस बार बहनों को अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधने के लिए पूरे दिन का मंगलकारी समय मिलेगा, जो भद्रा के अशुभ प्रभाव से पूरी तरह मुक्त होगा।
आइए, पुणे न्यूज़ हब के इस विशेष लेख में हम रक्षाबंधन 2025 की हर छोटी-बड़ी जानकारी को गहराई से समझते हैं – सही तारीख से लेकर शुभ मुहूर्त तक, और भद्रा के डर से लेकर पूजा की संपूर्ण विधि तक।
क्यों होता है भद्रा का डर? एक साया जो हर बहन टालना चाहती है

इससे पहले कि हम इस साल की अच्छी खबर पर आएं, यह समझना ज़रूरी है कि आखिर हर साल ‘भद्रा’ को लेकर इतनी चिंता क्यों रहती है? ज्योतिष और पौराणिक कथाओं के अनुसार, भद्रा को सूर्य देव की पुत्री और शनि देव की बहन माना जाता है। उनका स्वभाव अत्यंत उग्र और विनाशकारी बताया गया है। मान्यता है कि भद्रा काल में किए गए किसी भी शुभ कार्य का परिणाम अशुभ ही होता है।
इसकी सबसे प्रचलित कथा रामायण काल से जुड़ी है। कहा जाता है कि लंकापति रावण की बहन शूर्पणखा ने उसे भद्रा काल में ही राखी बांधी थी। इसका परिणाम यह हुआ कि रावण का न केवल भगवान राम के हाथों वध हुआ, बल्कि उसके पूरे कुल का सर्वनाश हो गया। इसी पौराणिक मान्यता के कारण, बहनें यह सुनिश्चित करती हैं कि वे भद्रा के समय को टालकर ही अपने भाई की कलाई पर रक्षा का यह पवित्र धागा बांधें।
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खुशखबरी: 4 साल बाद आया भद्रा मुक्त रक्षाबंधन का दिन!
अब बात करते हैं उस खुशखबरी की, जिसका हम सभी को इंतजार था। इस वर्ष, 2025 में, बहनें बिना किसी ज्योतिषीय चिंता के पूरे दिन राखी का त्योहार मना सकेंगी।
पंचांग के अनुसार, भद्रा काल 8 अगस्त 2025, शुक्रवार की दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से शुरू होगा और 9 अगस्त 2025, शनिवार को तड़के 1 बजकर 52 मिनट पर ही समाप्त हो जाएगा।
चूंकि राखी का त्योहार 9 अगस्त को मनाया जाएगा और उस दिन सूर्योदय सुबह लगभग 5 बजकर 47 मिनट पर होगा, इसका मतलब है कि जब बहनें राखी बांधने के लिए तैयार होंगी, तब तक भद्रा का अशुभ साया पूरी तरह से खत्म हो चुका होगा। यह एक ऐसा शुभ संयोग है जो कई वर्षों में एक बार आता है, और यह इस साल के रक्षाबंधन को और भी विशेष बना रहा है।
तो किस दिन मनाएं रक्षाबंधन 2025? समझें तिथि का गणित

हिंदू धर्म में त्योहारों की तिथि का निर्धारण चंद्र मास की तिथियों के आधार पर होता है। रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।
- पूर्णिमा तिथि का आरंभ 8 अगस्त 2025, शुक्रवार को दोपहर 2:12 बजे।
- पूर्णिमा तिथि का समापन: 9 अगस्त 2025, शनिवार को दोपहर 1:21 बजे।
वैदिक ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण नियम है ‘उदया तिथि’ का। इसके अनुसार, कोई भी व्रत या त्योहार उसी दिन मनाया जाना चाहिए, जिस दिन सूर्योदय के समय वह तिथि विद्यमान हो। इस नियम के अनुसार, पूर्णिमा तिथि में सूर्योदय 9 अगस्त को होगा। इसलिए, बिना किसी संशय के, रक्षाबंधन का त्योहार पूरे देश में शनिवार, 9 अगस्त 2025 को ही मनाया जाएगा।
राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त (Raksha Bandhan 2025 Shubh Muhurat)
चूंकि इस बार भद्रा का कोई अवरोध नहीं है, बहनें अपनी सुविधानुसार पूरे दिन राखी बांध सकती हैं। फिर भी, यदि आप सबसे शुभ और मंगलकारी मुहूर्त में यह रस्म करना चाहती हैं, तो ये समय आपके लिए सर्वश्रेष्ठ रहेंगे:
- सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त (पूरा दिन): सुबह 05:47 से लेकर दोपहर 01:21 तक का समय राखी बांधने के लिए अत्यंत शुभ है, क्योंकि इस दौरान पूर्णिमा तिथि विद्यमान रहेगी।
- अभिजीत मुहूर्त (दिन का सबसे शुभ समय): दोपहर 12:00 से दोपहर 12:53 तक। यह मुहूर्त किसी भी कार्य के लिए स्वतः सिद्ध माना जाता है।
- अन्य शुभ योग: इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, सौभाग्य योग और शोभन योग जैसे कई शुभ योगों का निर्माण भी हो रहा है, जो इस दिन के हर पल को मंगलकारी बना रहे हैं।
रक्षाबंधन की संपूर्ण पूजन विधि: कैसे सजाएं पूजा की थाली?
यह त्योहार सिर्फ एक धागा बांधने की रस्म नहीं है, यह एक पूरी पूजा प्रक्रिया है, जो भाई के प्रति बहन की शुभकामनाओं को ईश्वर तक पहुंचाती है।
- पवित्र थाली की तैयारी: सबसे पहले एक तांबे, पीतल या चांदी की थाली लें। इसे गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें। अब इसमें एक छोटे से दीये में घी का दीपक जलाएं। एक कटोरी में रोली या कुमकुम, दूसरी में अक्षत (साबुत चावल, टूटे हुए न हों), कुछ मिठाइयां और मुख्य रूप से अपनी चुनी हुई राखी रखें।
- भाई का आसन: अपने भाई को घर के पूजा स्थान के पास या किसी साफ-सुथरी जगह पर एक लकड़ी की चौकी या आसन पर बैठाएं। उनका मुख पूर्व दिशा की ओर होना शुभ माना जाता है। भाई को कहें कि वह अपने सिर को एक स्वच्छ रूमाल से ढक ले।
दिव्य तिलक
अब बहन अपने भाई के माथे पर पहले कुमकुम का तिलक लगाए। यह विजय और सम्मान का प्रतीक है। फिर उस तिलक पर अक्षत चिपकाएं। अक्षत का अर्थ है ‘जिसका क्षय न हो’, यह भाई की कीर्ति और सम्मान के अक्षय होने की कामना है।
रक्षासूत्र का बंधन और दिव्य मंत्र
अब बहन अपने भाई की दाहिनी कलाई पर रक्षासूत्र यानी राखी बांधे। राखी बांधते समय इस पौराणिक और शक्तिशाली मंत्र का मन में या धीरे-धीरे उच्चारण करें:
“ॐ येन बद्धो बली राजा, दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि, रक्षे मा चल मा चल॥“
मंत्र का अर्थ: “जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली असुर राजा बलि को बांधा गया था, मैं उसी पवित्र सूत्र से तुम्हें बांधती हूं। हे रक्षे (राखी)! तुम अपने संकल्प से कभी विचलित न होना।” यह मंत्र धागे को महज एक धागा नहीं रहने देता, बल्कि उसे एक रक्षा कवच में बदल देता है।
- आरती और मंगलकामना: राखी बांधने के बाद, थाली में रखे दीपक से अपने भाई की आरती उतारें। ईश्वर से उसकी दीर्घायु, सफलता और हर संकट से रक्षा की प्रार्थना करें।
- मिठाई और आशीर्वाद: अंत में, अपने भाई का मुंह मीठा कराएं और भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वचन देते हुए प्रेम से कोई उपहार या भेंट देकर उसके पैर छूकर आशीर्वाद ले।
यह रक्षाबंधन कई मायनों में खास है। यह न सिर्फ भद्रा के साये से मुक्त है, बल्कि शुभ योगों से भरपूर भी है। इस खूबसूरत त्योहार को पूरे विधि-विधान और प्रेम के साथ मनाएं, क्योंकि यह सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि साल भर के लिए भाई-बहन के रिश्ते को नई ऊर्जा और मिठास देने का एक पवित्र अवसर है।
FAQs
रक्षाबंधन 2025 में कब है?
रक्षाबंधन का त्योहार शनिवार, 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।
क्या इस वर्ष रक्षाबंधन पर भद्रा का साया है?
नहीं, इस वर्ष रक्षाबंधन भद्रा के साये से पूरी तरह मुक्त है। भद्रा 9 अगस्त को तड़के 1:52 बजे ही समाप्त हो जाएगी।
राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त क्या है?
9 अगस्त को सुबह 05:47 से लेकर दोपहर 01:21 तक का समय राखी बांधने के लिए अत्यंत शुभ है। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:00 से 12:53 तक रहेगा।