Supreme Court Stray Dogs Order | दिल्ली-NCR से 8 हफ्तों में हटेंगे कुत्ते, ऐतिहासिक फैसला

नई दिल्ली:अगर आप दिल्ली NCR में रहते हैं और हर दिन गली के नुक्कड़ पर झुंड में बैठे आवारा कुत्तों के डर से रास्ता बदल लेते हैं, तो यह खबर सीधे आपसे जुड़ी है। आपकी और आपके बच्चों की सुरक्षा को लेकर, सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक Supreme Court Stray Dogs Order आज जारी हो गया है, जो आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर की सड़कों की तस्वीर पूरी तरह बदल सकता है।

बढ़ते Dog Bite (कुत्तों के काटने) के मामलों और हाल ही में हुई एक बच्ची की दर्दनाक मौत पर स्वत: संज्ञान लेते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने आज सभी नागरिक अधिकारियों को अपना यह बेहद सख्त और स्पष्ट Supreme Court Stray Dogs Order जारी किया है।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश? 5 बड़े बिंदु

जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की बेंच ने आवारा कुत्तों की समस्या पर सुनवाई करते हुए जो निर्देश दिए हैं, वे अभूतपूर्व हैं:

  1. सड़कें होंगी कुत्ता-मुक्त: दिल्ली-एनसीआर (नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम) की हर गली, हर इलाके से सभी आवारा कुत्तों को अगले 8 हफ्तों के भीतर हटाया जाए।
  2. पकड़े गए कुत्ते वापस नहीं छोड़े जाएंगे: कोर्ट ने एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) रूल्स के उस नियम की कड़ी आलोचना की, जिसके तहत कुत्तों की नसबंदी के बाद उन्हें उसी इलाके में वापस छोड़ दिया जाता था। कोर्ट ने कहा, “हम यह समझने में विफल हैं कि आप उन्हें वापस क्यों लाते हैं।” अब किसी भी पकड़े गए कुत्ते को वापस सड़क पर नहीं छोड़ा जाएगा।
  3. बनेंगे नए डॉग शेल्टर: अधिकारियों को 8 सप्ताह के भीतर 5,000 कुत्तों की क्षमता वाले समर्पित डॉग शेल्टर बनाने का निर्देश दिया गया है। इन शेल्टर्स में कुत्तों की देखभाल, नसबंदी और टीकाकरण के लिए कर्मचारी होंगे।
  4. शिकायत पर 4 घंटे में एक्शन: एक हेल्पलाइन स्थापित की जाएगी, जहाँ डॉग बाइट की शिकायत दर्ज होते ही, offending कुत्ते को 4 घंटे के भीतर उठाना होगा।
  5. काम में बाधा डालने पर जेल: यदि कोई भी व्यक्ति या संगठन इस काम में बाधा डालता है, तो उस पर सीधे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना (Contempt of Court) की कार्रवाई होगी।

ICICI Bank नया खाता: मिनिमम बैलेंस ₹50,000, क्या पुराने ग्राहकों पर होगा असर? जानें नियम

Supreme Court Stray Dogs Order: क्यों आया यह सख्त फैसला? एक बच्ची की मौत ने झकझोर दिया

यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब दिल्ली की 6 साल की बच्ची चावी शर्मा की रेबीज से मौत हो गई। 30 जून को उसे एक पागल कुत्ते ने काटा था और तमाम इलाज के बावजूद 26 जुलाई को उसने दम तोड़ दिया। इस घटना पर मीडिया रिपोर्ट्स का संज्ञान लेते हुए, कोर्ट ने इसे “बेहद चिंताजनक” स्थिति बताया और मामले को जनहित में खुद दर्ज किया।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पशु अधिकार कार्यकर्ताओं की दलीलों को सुनने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “क्या पशु अधिकार कार्यकर्ता उन बच्चों की जान वापस ला सकते हैं, जो कुत्तों के काटने का शिकार हुए हैं? अब कार्रवाई करने और उन्हें बचाने का समय है।”

ICICI Bank नया खाता: मिनिमम बैलेंस ₹50,000, क्या पुराने ग्राहकों पर होगा असर? जानें नियम

पत्रकार का दृष्टिकोण: यह सिर्फ एक आदेश नहीं, सोच में बदलाव है

एक कानूनी पत्रकार के तौर पर, मैं इस फैसले को सिर्फ एक आदेश के रूप में नहीं देखता। यह सार्वजनिक सुरक्षा को लेकर न्यायपालिका की बदली हुई सोच का प्रतीक है। सालों से आवारा कुत्तों की समस्या पर बहस दो खेमों में बंटी रही है – पशु प्रेमी बनाम आम नागरिक की सुरक्षा। इस फैसले के साथ, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि जब इंसानी जीवन, विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा दांव पर हो, तो किसी भी अन्य भावना या नियम को दरकिनार किया जा सकता है।

यह फैसला नागरिक निकायों के लिए एक बड़ी चुनौती है, लेकिन जनता के लिए एक बड़ी राहत है। इसका उद्देश्य लोगों के मन में यह विश्वास जगाना है कि वे बिना किसी डर के सड़कों पर चल सकते हैं।

Source: HT

Author

  • Chaitali Deshmukh

    मैं पुणेन्यूजहब की संपादक और लेखिका हूँ। मेरा जुनून है कि मैं अपनी कलम से पुणे न्यूज़ के हर पहलू को उजागर करूँ, खासकर शहर की अनसुनी कहानियों और स्थानीय मुद्दों पर विश्वसनीय विश्लेषण पेश करूँ।

Leave a Comment