सुप्रिया सुले ने की पीएम मोदी की तारीफ, पर NEET-NET पर सरकार को घेरा

नई दिल्ली: बारामती की सांसद और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) की कद्दावर नेता सुप्रिया सुले ने एक बार फिर अपने सधे हुए राजनीतिक अंदाज से सबको चौंका दिया है। एक तरफ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की तारीफों के पुल बांधे, तो दूसरी तरफ NEET-NET परीक्षा धांधली मामले पर उनकी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। उनके इस दोहरे रुख ने दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक के राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है कि आखिर सुले की सियासत का असली रंग क्या है।

जब सदन में गूंजी मोदी की तारीफ

मौका था लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ पर चर्चा का। इस दौरान सुप्रिया सुले ने उस वाकये का जिक्र किया जब प्रधानमंत्री मोदी ने विदेशों में भारत का पक्ष रखने वाले एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए उन पर भरोसा जताया। सुले ने इसे पीएम का “बड़प्पन” करार देते हुए कहा, “जब देश की बात आती है, तो देश सबसे पहले है।” उनके इस बयान ने सदन में बैठे सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों के सदस्यों का ध्यान खींचा। यह एक ऐसा क्षण था जहां दलगत राजनीति की सीमाएं टूटती नजर आईं और राष्ट्रहित सर्वोपरि दिखा।

गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब सुले या पवार परिवार ने मोदी की प्रशंसा की हो। लेकिन इस बयान के राजनीतिक मायने इसलिए भी निकाले जाने लगे क्योंकि महाराष्ट्र में उनकी पार्टी और परिवार, दोनों ही एक बड़ी टूट का दर्द झेल चुके हैं, जिसकी एक बड़ी वजह भाजपा को माना जाता है।

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अटकलों पर लगाया विराम, पर विपक्ष का धर्म भी निभाया

जैसे ही तारीफ की खबरें फैलीं, कयासों का बाजार गर्म हो गया। क्या सुप्रिया सुले का रुख बदल रहा है? इन सवालों का जवाब भी उन्होंने खुद ही दे दिया। सुले ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि वह भाजपा के साथ किसी भी सूरत में नहीं जाएंगी, क्योंकि भाजपा ने “मराठी मानुष” द्वारा बनाई गई पार्टियों (शिवसेना और एनसीपी) को तोड़ा है।

अपनी बात को और पुख्ता करते हुए, सुप्रिया सुले एक जिम्मेदार विपक्षी नेता की भूमिका में भी डटी रहीं। NEET-UG और UGC-NET परीक्षाओं में हुई धांधली के मुद्दे पर उन्होंने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। वह उस विपक्षी प्रतिनिधिमंडल का अहम हिस्सा थीं, जिसने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की। सड़क से लेकर संसद तक, सुले ने छात्रों के भविष्य का सवाल उठाते हुए सरकार को उसकी जवाबदेही याद दिलाई।

राजनीति का परिपक्व चेहरा

सुप्रिया सुले का यह अंदाज दिखाता है कि एक परिपक्व राजनेता कैसे राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सरकार के साथ खड़ा हो सकता है, लेकिन उसी सरकार को जनहित के मुद्दों पर घेरने में कोई कोताही नहीं बरतता। यह भारतीय लोकतंत्र की वह खूबी है, जहां विरोध का मतलब दुश्मनी नहीं होता। एक ही समय में प्रधानमंत्री की तारीफ और उनकी सरकार की नीतियों पर तीखा हमला, सुप्रिया सुले ने यह साबित कर दिया है कि वह राजनीति की इस जटिल बिसात पर एक मंझी हुई खिलाड़ी हैं, जिसके हर कदम पर सबकी नजरें टिकी रहती हैं।

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Press Trust of India

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  • Chaitali Deshmukh

    मैं पुणेन्यूजहब की संपादक और लेखिका हूँ। मेरा जुनून है कि मैं अपनी कलम से पुणे न्यूज़ के हर पहलू को उजागर करूँ, खासकर शहर की अनसुनी कहानियों और स्थानीय मुद्दों पर विश्वसनीय विश्लेषण पेश करूँ।

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