निसार मिशन लॉन्च: ISRO-NASA का ऐतिहासिक सैटेलाइट आज भरेगा उड़ान

श्रीहरिकोटा: आज हर भारतीय की निगाहें आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर पर टिकी हैं, जहाँ से इतिहास रचे जाने की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। भारत और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसियों, NASAISRO का अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी संयुक्त निसार मिशन (NISAR) आज शाम 5:40 बजे अपनी ऐतिहासिक उड़ान भरने के लिए तैयार है। यह सिर्फ एक सैटेलाइट का प्रक्षेपण नहीं, बल्कि धरती की सेहत पर अब तक की सबसे पैनी नजर रखने वाले एक ‘अंतरिक्ष जासूस’ को उसकी ड्यूटी पर भेजने जैसा है।

क्या है निसार मिशन और क्यों है यह इतना ख़ास?

‘निसार’ यानी नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार, यह नाम ही भारत और अमेरिका के इस ऐतिहासिक सहयोग की कहानी बयां करता है। यह पहला ऐसा सैटेलाइट मिशन है जिसे दोनों देशों ने मिलकर तैयार किया है। इसका मकसद किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की भलाई है।

इसे GSLV-F16 रॉकेट के जरिए पृथ्वी से 743 किलोमीटर ऊपर एक खास कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इस कक्षा को ‘सूर्य-संवेदनशील कक्ष’ (Sun-Synchronous Orbit) कहते हैं, जिसका मतलब है कि सैटेलाइट हमेशा सूर्य के सामने रहेगा, ताकि उसे काम करने के लिए लगातार सौर ऊर्जा मिलती रहे। लॉन्च के ठीक 19 मिनट बाद, यह सैटेलाइट अपनी मंजिल पर पहुंच जाएगा।

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निसार सैटेलाइट के कार्य

धरती का ‘डॉक्टर’ जो हर मौसम में करेगा जांच

निसार मिशन की सबसे बड़ी खूबी है इसकी उन्नत रडार तकनीक, जो बादलों और अंधेरे को चीरकर भी धरती की साफ तस्वीरें ले सकती है। यह सैटेलाइट हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी का एक चक्कर लगाकर उसका पूरा ‘हेल्थ चेकअप’ करेगा। इससे हमें पता चलेगा कि:

  • कहां खिसक रही है ज़मीन: यह भूकंप, भूस्खलन और ज्वालामुखी विस्फोट से पहले होने वाले ज़मीनी बदलावों को मिलीमीटर के स्तर तक माप सकता है, जिससे आपदा की पूर्व चेतावनी देना संभव होगा।
  • पिघलते ग्लेशियर और बढ़ता समुद्र: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, जैसे ग्लेशियरों के पिघलने और समुद्र के जलस्तर में वृद्धि पर इसकी पैनी नजर रहेगी।
  • खेती और जंगल की स्थिति: यह कृषि भूमि के स्वास्थ्य, जंगलों की कटाई और कार्बन स्टॉक का सटीक आकलन करने में मदद करेगा।

पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी उम्मीद

निसार मिशन सिर्फ भारत या अमेरिका के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के लिए एक वरदान साबित होगा। इससे मिलने वाले डेटा का उपयोग बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं के प्रबंधन, प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल और जलवायु परिवर्तन से लड़ने की रणनीतियां बनाने में किया जाएगा।

आज शाम जब GSLV-F16 रॉकेट आग के गोलों के साथ आसमान की ओर बढ़ेगा, तो वह अपने साथ सिर्फ निसार सैटेलाइट को ही नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की उम्मीदों और भारत की बढ़ती अंतरिक्ष शक्ति के गौरव को भी लेकर जाएगा। यह मिशन भारत-अमेरिका के वैज्ञानिक सहयोग को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाएगा और दुनिया को यह संदेश देगा कि मानवता की भलाई के लिए जब दो बड़े देश साथ आते हैं, तो आसमान की बुलंदियां भी कम पड़ जाती हैं।

Image Credit: NASA AND ISRO

Author

  • Chaitali Deshmukh

    मैं पुणेन्यूजहब की संपादक और लेखिका हूँ। मेरा जुनून है कि मैं अपनी कलम से पुणे न्यूज़ के हर पहलू को उजागर करूँ, खासकर शहर की अनसुनी कहानियों और स्थानीय मुद्दों पर विश्वसनीय विश्लेषण पेश करूँ।

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